डेंगू से मौत के बावजूद मलेरिया विभाग बेखबर
 

बस स्टेण्ड घनी बस्ती क्षेत्र में हुई डेंगू से मौत, फिर भी नहीं लिया गया लार्वा सेम्पल

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छतरपुर। जिला मुख्यालय पर डेंगू से एक 11 साल के मासूम बच्चे की मौत के बावजूद मलेरिया विभाग की नींद नहीं टूट रही है। दो दिन पहले मौत की खबर सामने आने के बाद भी बस स्टेण्ड क्षेत्र में स्थित मृतक के घर के आसपास न तो डेंगू के लार्वा का सेम्पल लिया गया और न ही आसपास अन्य मरीजों की खोज के लिए कोई सर्वे शुरू हुआ। दो दिन से मीडिया में छप रहीं खबरों के बाद अब विभाग ने शनिवार को सेम्पल कलेक्शन की बात कही है। विभाग की यह लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। 

उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर की सुबह शहर के बस स्टेण्ड पर बालाजी होटल के निकट रहने वाले राजेन्द्र पहारिया के 11 वर्षीय बच्चे की इलाज के दौरान ग्वालियर में मौत हो गई थी। यह मासूम बच्चा पिछले कुछ दिनों से बीमार था जिसके बाद उसे परिवार के लोग मसीही अस्पतल ले गए। यहां आराम न मिलने के कारण उसे ग्वालियर ले जाना पड़ा। ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में ही 7 अक्टूबर की सुबह 10 बजे बच्चे की मौत हो गई। यह खबर सामने आने के बाद मीडिया ने विभाग को सचेत किया लेकिन इसके बाद भी विभाग के पास डेंगू से मौत की कोई अधिकृत जानकारी नहीं है और न ही अब तक संबंधित इलाके का सर्वे किया गया। 

कागजी घोड़े: शहर के लिए 11 टीमें कर रहीं दवा का छिड़काव

एक तरफ मलेरिया विभाग मौसमी बीमारियों के सीजन में लापरवाह नजर आ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विभाग के कागजी घोड़े फाइलों में बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। मलेरिया विभाग के मुताबिक छतरपुर शहर में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से जुड़े सर्वे को करने, दवा का छिड़काव करने और लोगों को इन बीमारियों से बचाव के प्रति जागरूक करने के लिए 11 टीमें तैनात की गई हैं। प्रतिदिन एक टीम एक वार्ड में जा रही है लेकिन विभाग की ये टीमें फील्ड पर नजर नहीं आ रही हैं। शुक्रवार को विभाग की सभी दवा छिड़काव मशीनें कार्यालय में रखी नजर आईं और कर्मचारी दफ्तर में ताश खेल रहे थे। जब विभाग से उनके कामकाज की जानकारी ली गई तो जूनियर इंस्पेक्टर दिनेश पटैरिया ने बताया कि जनवरी से अब तक जिले में 119206 लोगों का रेपिड टेस्ट कराया जा चुका है। इसमें से बुखार के सिर्फ 30 केस मिले हैं। सर्वे के एक रजिस्टर पर नजर पड़ी तो देखा कि कई नाम कई वार्डों में मिलते जुलते भरे गए हैं। विभाग के मुताबिक 2017 में जिले में मलेरिया के 245 केस सामने आए जबकि डेंगू का एक भी मामला नहीं मिला। 2018 में मलेरिया के 104, डेंगू के 4 केस मिले। 2019 में मलेरिया के 61 और डेंगू के 8 केस सामने आए थे। जनवरी से अब तक मलेरिया के 30 मामला और डेंगू का फिलहाल एक ही मामला दर्ज है। जबकि जिले में एक ही सप्ताह के भीतर डेंगू के दो मामले सामने आ चुके हैं। दूसरा मामला लवकुशनगर क्षेत्र के ग्राम लक्ष्मनपुरा से सामने आया जहां 28 वर्षीय पुष्पेन्द्र यादव डेंगू पॉजिटिव पाया गया। शुक्रवार की विभाग की टीमों ने इस गांव में लार्वा का कलेक्शन भी किया। 

विभाग के भरोसे न रहें, खुद करें बचाव

जिले में मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। डेंगू के दो मामले सामने आ चुके हैं तो वहीं मलेरिया फैलने की आशंका भी है। इन बीमारियों से बचने के लिए पायराथिन दवा का छिड़काव किया जाता है जहां डेंगू का लार्वा मिलता है वहां 40 घरों का लार्वा कलेक्ट करने की गाइड लाइन है। नाली और गड्ढों में टेमोफास नामक दवा का छिड़काव किया जाता है। फिलहाल विभाग के द्वारा किए जाने वाले इन कार्यों में कितनी सच्चाई है यह समझना मुश्किल है लेकिन आम जनता इन बीमारियों से बचने के लिए कदम उठा सकती है। इसके लिए घरों के आसपास मौजूद कूलर, मटके, गमले, गड्ढे आदि में पानी जमा न होने दें। यदि किसी जगह पर पानी जमा है तो वहां जला हुआ आयल डालें। मच्छरों से बचाव करें, खिड़की दरवाजों पर मच्छर जाली लगाएं। छोटे बच्चों के लिए ज्यादा खतरा है इसलिए उन्हें पार्कों में भेजने के पहले फुल कपड़े पहनाएं। 

इनका कहना-

डेंगू से मौत की जानकारी मीडिया के माध्यम से लगी है। हम कल संबंधित क्षेत्र का सर्वे कराएंगे। विभाग की टीमें नियमित रूप से दवा का छिड़काव कर रही हैं। 

दिनेश पटैरिया, जूनियर इंस्पेक्टर, मलेरिया विभाग